सुलतानपुर:-अंधेर नगरी चौपट राजा, सेवानिवृत रोडवेज कर्मी मामले में हुई कार्रवाई में सच हुई कहावत
*अंधेर नगरी चौपट राजा, सेवानिवृत रोडवेज कर्मी मामले में हुई कार्रवाई में सच हुई कहावत*
सुलतानपुर। सेवानिवृत रोडवेज कर्मी की हत्या में हुई पहली कार्रवाई के बाद "अंधेर नगरी चौपट राजा" की यह कहावत सच हो गई है। तीन स्टार वाले दरोगा जी को कप्तान साहब ने लापरवाह ठहराकर निलंबित कर दिया। महज इस कारण की जिले की आला हाक़िम की लापरवाही उजागर हो गई थी। उन्हें सेफ करने के लिए छोटी मछली को निपटाकर शासन से वाहवाही लूट ली गई। हालांकि जिस इंस्पेक्टर की मैं बात कर रहा हूं उनको न कभी मिला और न ही वो हमे जानते होंगे उनका चेहरा भी मैंने नहीं देखा।
बताते चले रविवार शाम 6 बजे के आसपास गोसाईंगंज थाना अंतर्गत रजनपुर के पास साइकिल से घर लौट रहे सेवानिवृत रोडवेज कर्मी सुरेंद्र प्रताप पांडेय की गोली मारकर हत्या हुई। इंस्पेक्टर प्रेमचंद्र सिंह घटनास्थल पर पहुंचे, पुलिस की गाड़ी से सुरेंद्र को राजकीय मेडिकल कॉलेज भेजा। जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। घटना में पहली बड़ी लापरवाही जो अस्पताल में सामने आई वो यह कि डीएम ने चार माह से असलहा लाइसेंस निरस्त के लिए दिए गए तीन-चार शिकायती पत्र को संज्ञान नहीं लिया।
आरटीआई मांगने पर उसका जवाब तक नहीं दिया गया। जिसको लेकर मृतक के भाइयों में रोष था। मृतक के भाइयों व अन्य रिश्तेदारों ने स्थानीय पुलिस को लेकर कोई ऐसा सवाल भी नहीं उठाया। बात अगर स्थानीय पुलिस की कार्यशैली की किया जाए तो पांच माह पूर्व सुरेंद्र प्रताप पांडेय के पक्ष से चार और कैलाश नाथ मिश्रा पक्ष के चार व्यक्तियों को पाबंद करने की कार्रवाई की गई थी। सभी आठ लोगों को एक-एक लाख का मुचलका भरना पड़ा था। इसकी पुष्टि तत्कालीन थानाध्यक्ष ने किया था। बावजूद इसके कार्रवाई करने वाले को ही कुसूरवार ठहराया गया ताकि लापरवाही बरतने वाली मुखिया बच जाए।
यही नहीं समय गवाएं बिना चार नामजद हत्यारोपियों में तीन को रविवार रात ही दबोच लिया गया। दो दिन तक वे हिरासत में रहे, लेकिन साहब जेल भेजनें के निर्देश नहीं दे सके। ऐसे में सवाल ये है कि क्या साहब ने आरोपियों को जेल भेजने में देरी बरत लापरवाही नहीं बरती...?
हालांकि सोशल मीडिया पर खबर चलने के बाद तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
सुल्तानपुर से ब्यूरो चीफ विजय कुमार मौर्य की रिपोर्ट
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